Monday 5 August 2013

यादों का पिटारा

यादों  के पिटारे से निकली कुछ कहानियाँ
कहानियाँ जो हैं  आज के सच जैसी सच्ची …  


याद  आए कुछ भूले दोस्त
याद आये कुछ पल जो होते थे दिल के करीब
वो चुलबुलापन , वो सपनों का ताना बाना
वो छोटी छोटी बातों पे खुल  के हँसना
वो दिल से सोचना और दिल की करना
वो थक के बैठना  और पल भर में ही उठ जाना


कहाँ खो गए सब ,कैसे भूल गए हम
यादों के पिटारे में इतना प्यार इतना अपनापन है
तो कैसे भूल गए दोस्त
चलो आज कुछ पल थम जाएँ ,रुक जाएँ
और खो जाएं उन पलों में जो आज भी दिल को सुकून दे जाते हैं
याद करें सब और हस लें जी भर के


और फिर आज कुछ नयी यादें बनाएं
लिखें कुछ कहानियां जो हों आज के सच जैसी सच्ची …